कवि सम्मेलनों के मंच पर अपनी अपनी विधा में कवि सौरभ सुमन एवं कवियत्री अनामिका अम्बर का कोई सानी नहीं है। यदि देश के चुनिंदा मंच संचालकों में सौरभ सुमन शुमार करते हैं तो वहीँ अनामिका अम्बर देश कि उन चोटी कि कवियत्रियों में गिनी जाती हैं जिनकी उपस्थिति ही मंच को गरिमा प्रदत्त कर देती है।
हिंदी काव्य मंचों पर पति-पत्नी के रूप में जाना जाने वाला यह विलक्षण जोड़ा अपने आपमें अकेला है। यूँ एक-दो अपवाद हैं किन्तु ख्याति के पक्ष से जितना महत्त्व यह जोड़ी रखती है उतना शायद और कोई नहीं है।
सौरभ सुमन हिंदी वाचिक परम्परा के वो हस्ताक्षर हैं जिनके विषय में कहा जाता है कि श्रोता आज तक यह निर्णय नहीं ले सके कि वो वीर रस कि कविता सुनाते हुए आक्रोशित स्वर से मन को आंदोलित अधिक कर देते हैं अथवा सञ्चालन करते हुए अपनी चुटीली चुटकियों से श्रोताओं को लोटपोट अधिक करते हैं। दोनों ही रसों में महारत हांसिल है सौरभ सुमन को। लाखों की भीड़ हो या बौद्धिकता लिए बैठा एक छोटा समूह दोनों ही उनकी कला देख कर दांतों तले अंगुलियां दबा लेते हैं। वहीँ अनामिका अम्बर का स्वर जब गीतों के मध्याम से मंच से मुखरित होता है तो चारों और ह्रदय स्पंदन दिखाई देने लगता है।
आइये एक भेंट करते हैं ऐसे शानदार जोड़े से.…।
हिंदी काव्य मंचों पर पति-पत्नी के रूप में जाना जाने वाला यह विलक्षण जोड़ा अपने आपमें अकेला है। यूँ एक-दो अपवाद हैं किन्तु ख्याति के पक्ष से जितना महत्त्व यह जोड़ी रखती है उतना शायद और कोई नहीं है।
सौरभ सुमन हिंदी वाचिक परम्परा के वो हस्ताक्षर हैं जिनके विषय में कहा जाता है कि श्रोता आज तक यह निर्णय नहीं ले सके कि वो वीर रस कि कविता सुनाते हुए आक्रोशित स्वर से मन को आंदोलित अधिक कर देते हैं अथवा सञ्चालन करते हुए अपनी चुटीली चुटकियों से श्रोताओं को लोटपोट अधिक करते हैं। दोनों ही रसों में महारत हांसिल है सौरभ सुमन को। लाखों की भीड़ हो या बौद्धिकता लिए बैठा एक छोटा समूह दोनों ही उनकी कला देख कर दांतों तले अंगुलियां दबा लेते हैं। वहीँ अनामिका अम्बर का स्वर जब गीतों के मध्याम से मंच से मुखरित होता है तो चारों और ह्रदय स्पंदन दिखाई देने लगता है।
आइये एक भेंट करते हैं ऐसे शानदार जोड़े से.…।